भाजपा सरकार पर मंडराया संकट, डिप्टी सीएम समेत 6 विधायकों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस ने फ्लोर टेस्ट की मांग की

मणिपुर में भाजपा की गठबंधन वाली सरकार पर संकट मंडराने लगा है। डिप्टी सीएम वाई जॉय कुमार सिंह समेत 6 विधायकों के इस्तीफ के बाद कांग्रेस ने राज्यपाल से मिलकर फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की है।इधर,कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह को अपना नया नेता चुना है। कांग्रेस प्रवक्ता निंगोंबम भूपेंद्र मेइतेइ ने कहा कि मणिपुर में जल्द ही तीन बार के मुख्यमंत्री रह चुके इबोबी सिंह नए मुख्यमंत्री होंगे। प्रवक्ता भूपेंद्र ने भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए कहा किसरकार का गिरना भगवा पार्टी के पतन का प्रतीक है। 3 भाजपा विधायकों ने भी दिया है इस्तीफानेशनल पीपल्स पार्टी के नेता और डिप्टी सीएम वाई जॉय कुमार सिंह के साथ भाजपा के तीन विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया है। इसमें विधायक एस. सुभाषचंद्र सिंह, टीटी हाओकिप और सैमुअल जेनदई शामिल हैं। इसके अलावा टीएमसी विधायक टी. रॉबिंद्रो सिंह, एन. कायसी, एल. जयंता कुमार सिंह, लेतपाओ हाओकिप और निर्दलीय विधायक असबउद्दीन ने भाजपा गंठबंधन वाली सरकार से इस्तीफा दे दिया है। सभी ने कांग्रेस को समर्थन दिया। ज्यादा सीट पाने के बाद भी सरकार नहीं बना पाई थीकांग्रेस मणिपुर में विधानसभा की 60 सीटें हैं। 2017 में यहां विधानसभा चुनाव हुआ था। इसमें कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 28 सीटों पर जीत हासिल की थी। भाजपा को 21 सीटें मिली थीं। एनपीपी और नगा पीपल्स फ्रंट के 4 विधायक चुनाव जीते थे। एलजेपी, टीएमसी और एक निर्दलीय उम्मीदवार ने एक-एक सीट हासिल की थी। सभी गैर-कांग्रेसी ने भाजपा को समर्थन दे दिया। इसके अलावा एक कांग्रेस विधायक टी. श्यामकुमार ने भी सरकार को समर्थन दे दिया। इस तरह से कांग्रेस सबसे ज्यादा सीटें जीतने के बाद भी सरकार नहीं बना पाई थी। जबकि भाजपा ने गठबंधन की सरकार बना ली। कुछ दिनों बाद कांग्रेस के 7 और विधायकों ने भी भाजपा का दामन थाम लिया। इस तरह से भाजपा गठबंधन के पास विधानसभा में 40 सदस्यों की संख्या हो गई। हालांकि, कांग्रेस ने अपने सभी 8 पूर्व विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की याचिका दायर कर दी जो विधानसभा अध्यक्ष के पास लंबित है। फ्लोर टेस्ट में कांग्रेस के पास बहुमत पाने की संभावनाअगर फ्लोर टेस्ट होता है तो भाजपा को सत्ता गंवानी पड़ सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि भाजपा खेमे के 11 विधायक वोटिंग में शामिल नहीं हो पाएंगे। ऐसाइसलिए क्योंकि कांग्रेस से भाजपा में गए 7 विधायकों के मामले में हाईकोर्ट ने उन्हें विधानसभा में प्रवेश करने से मना कर दिया है। ऐसी स्थिति तब तक कायम रहेगी, जब तक विधानसभा अध्यक्ष नजमा हेपतुल्ला इन विधायकों पर कोई फैसला नहीं ले लेतीं। इसके अलावा तीन विधायक इस्तीफा भी दे चुके हैं जबकि विधायक श्यामकुमार को अयोग्य घोषित किया जा चुका है। ऐसे में 49 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा गंठबंधन के पक्ष में केवल 22 वोट पड़ेंगे जबकि कांग्रेस के खाते में 26 वोट आ सकते हैं। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें डिप्टी सीएम समेत 6 विधायकों के इस्तीफे के बाद भाजपा की गठबंधन सरकार खतरे में पड़ गई है। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को इस्तीफा देना पड़ सकता है।

भाजपा सरकार पर मंडराया संकट, डिप्टी सीएम समेत 6 विधायकों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस ने फ्लोर टेस्ट की मांग की
मणिपुर में भाजपा की गठबंधन वाली सरकार पर संकट मंडराने लगा है। डिप्टी सीएम वाई जॉय कुमार सिंह समेत 6 विधायकों के इस्तीफ के बाद कांग्रेस ने राज्यपाल से मिलकर फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की है।इधर,कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह को अपना नया नेता चुना है। कांग्रेस प्रवक्ता निंगोंबम भूपेंद्र मेइतेइ ने कहा कि मणिपुर में जल्द ही तीन बार के मुख्यमंत्री रह चुके इबोबी सिंह नए मुख्यमंत्री होंगे। प्रवक्ता भूपेंद्र ने भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए कहा किसरकार का गिरना भगवा पार्टी के पतन का प्रतीक है। 3 भाजपा विधायकों ने भी दिया है इस्तीफानेशनल पीपल्स पार्टी के नेता और डिप्टी सीएम वाई जॉय कुमार सिंह के साथ भाजपा के तीन विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया है। इसमें विधायक एस. सुभाषचंद्र सिंह, टीटी हाओकिप और सैमुअल जेनदई शामिल हैं। इसके अलावा टीएमसी विधायक टी. रॉबिंद्रो सिंह, एन. कायसी, एल. जयंता कुमार सिंह, लेतपाओ हाओकिप और निर्दलीय विधायक असबउद्दीन ने भाजपा गंठबंधन वाली सरकार से इस्तीफा दे दिया है। सभी ने कांग्रेस को समर्थन दिया। ज्यादा सीट पाने के बाद भी सरकार नहीं बना पाई थीकांग्रेस मणिपुर में विधानसभा की 60 सीटें हैं। 2017 में यहां विधानसभा चुनाव हुआ था। इसमें कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 28 सीटों पर जीत हासिल की थी। भाजपा को 21 सीटें मिली थीं। एनपीपी और नगा पीपल्स फ्रंट के 4 विधायक चुनाव जीते थे। एलजेपी, टीएमसी और एक निर्दलीय उम्मीदवार ने एक-एक सीट हासिल की थी। सभी गैर-कांग्रेसी ने भाजपा को समर्थन दे दिया। इसके अलावा एक कांग्रेस विधायक टी. श्यामकुमार ने भी सरकार को समर्थन दे दिया। इस तरह से कांग्रेस सबसे ज्यादा सीटें जीतने के बाद भी सरकार नहीं बना पाई थी। जबकि भाजपा ने गठबंधन की सरकार बना ली। कुछ दिनों बाद कांग्रेस के 7 और विधायकों ने भी भाजपा का दामन थाम लिया। इस तरह से भाजपा गठबंधन के पास विधानसभा में 40 सदस्यों की संख्या हो गई। हालांकि, कांग्रेस ने अपने सभी 8 पूर्व विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की याचिका दायर कर दी जो विधानसभा अध्यक्ष के पास लंबित है। फ्लोर टेस्ट में कांग्रेस के पास बहुमत पाने की संभावनाअगर फ्लोर टेस्ट होता है तो भाजपा को सत्ता गंवानी पड़ सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि भाजपा खेमे के 11 विधायक वोटिंग में शामिल नहीं हो पाएंगे। ऐसाइसलिए क्योंकि कांग्रेस से भाजपा में गए 7 विधायकों के मामले में हाईकोर्ट ने उन्हें विधानसभा में प्रवेश करने से मना कर दिया है। ऐसी स्थिति तब तक कायम रहेगी, जब तक विधानसभा अध्यक्ष नजमा हेपतुल्ला इन विधायकों पर कोई फैसला नहीं ले लेतीं। इसके अलावा तीन विधायक इस्तीफा भी दे चुके हैं जबकि विधायक श्यामकुमार को अयोग्य घोषित किया जा चुका है। ऐसे में 49 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा गंठबंधन के पक्ष में केवल 22 वोट पड़ेंगे जबकि कांग्रेस के खाते में 26 वोट आ सकते हैं। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें डिप्टी सीएम समेत 6 विधायकों के इस्तीफे के बाद भाजपा की गठबंधन सरकार खतरे में पड़ गई है। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को इस्तीफा देना पड़ सकता है।